ऐसा सायन सौर पंचांग बनाना कठिन नहीं, जिसमें इस्लामी परंपरा भी सुरक्षित रहे।
2.
सौर पंचांग के अनुसार यह पर्व महीने की पहली तारीख को आता है।
3.
सौर पंचांग वालों ने इसे 12 भागों यानि राशियों में बाँट रखा था।
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वैसे तमिलनाडु के हिन्दू अपना नया साल सौर पंचांग के हिसाब से तमिल पुत्तण्डु, विशु पुण्यकालम के रूप में या थईपुसम के दिन मनाते हैं।
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वैसे तमिलनाडु के हिन्दू अपना नया साल सौर पंचांग के हिसाब से तमिल पुत्तण्डु, विशु पुण्यकालम के रूप में या थईपुसम के दिन मनाते हैं।
6.
अत: प्रचलित इस्लामी पंचांग के मास और उनकी तारीखों को धार्मिक त्यौहारों के लिए रखकर व्यावहारिक कार्यों के लिए किसी प्रकार का सायन सौर पंचांग रखना हितावह होगा।
7.
यह त्यौहार हिन्दी सौर पंचांग की तिथियों के अनुसार मनाये जाते हैं, शीत ऋतु की शुरुआत आश्विन मास से होती है, सो आश्विन मास की दशमी को हरेला मनाया जाता है।
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यह त्यौहार हिन्दी सौर पंचांग की तिथियों के अनुसार मनाये जाते हैं, शीत ऋतु की शुरुआत आश्विन मास से होती है, सो आश्विन मास की दशमी को हरेला मनाया जाता है।
9.
काशी से निकलने वाले पंचांगों में प्रमुख हैं-विश्व पंचांग, श्री हृषीकेश (काशी विश्वनाथ) पंचांग, बापूदेव शास्त्री प्रवर्तित दृक्सिद्ध पंचांग, ज्ञानमंडल सौर पंचांग, श्री महावीर पंचांग, श्री गणेश आपा पंचांग इत्यादि।